गुजरात के स्कूलों ने अभिभावकों को लिखा

 देशभर के स्कूलों में दिवाली की छुटि्टयां धनतेरस से शुरू हो गईं। दिवाली के मौके पर गुजरात में 3 हफ्ते की छुटि्टयां होती हैं, लेकिन इस बार बच्चों को मजबूत इंसान बनाने के उद्देश्य से किताबी ज्ञान से हटकर कुछ अलग रचनात्मक होमवर्क दिया गया। कई स्कूलों ने तो अभिभावकों को पत्र लिखा कि बच्चों को उनके पैतृक गांव में धूल में नंगे पैर खेलने दें, गिरने दें ताकि बच्चे जीवन में गिरकर उठ खड़े होने का गुर सीख सकें। कुछ स्कूलों ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अस्पताल, ग्राम पंचायत, वृद्धाश्रम, पुलिस थाने जाकर देखें कि वहां काम के दौरान किस तरह की परेशानी आ रही है।


'पत्र में कहा- अभिभावक बच्चों के साथ समय बिताएं'
कुछ स्कूल होमवर्क में बच्चों से निबंध लिखवा रहे हैं कि आपके पेरेंट्स जो काम कर रहे हैं, उसमें उन्हें आनंद आ रहा है या नहीं। सूरत के एक स्कूल ने विद्यार्थियों के माता-पिता को पत्र लिखा है, जिसमें नैतिक आधार को बल देने वाली सीखें याद दिलाई गई हैं। कहा गया- ''यह पत्र आपके बच्चों की शिकायत के लिए नहीं, बल्कि उनके विकास और श्रेष्ठ जीवन निर्माण के बारे में कुछ सुझाव के लिए है। जब स्कूल खुले होते हैं, तब बच्चे लगातार पढ़ाई-लिखाई में व्यस्त होते हैं। छुटि्टयों का वक्त ही ऐसा होता है, जिसे बच्चे और अभिभावक साथ-साथ बिताते हैं। माता-पिता को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए, यह उनका कर्तव्य है। बच्चे पूरे साल एकाग्रता के साथ पढ़ते ही हैं, इसलिए छुटि्टयों के दौरान इन्हें दिल खोल कर खेलने-कूदने दें।''


पत्र में यह भी लिखा, ''आपका बच्चा क्या करता है, इसकी बजाय आप यह जानने की कोशिश करें कि आप खुद क्या कर सकते हैं? यह बच्चों को भी बताएं। बच्चे की अच्छी बातों की सराहना करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। पक्षियों की चहचहाहट के बिना जैसे सुबह और शाम सूनी लगती है, उसी तरह बच्चों की उछलकूद के बिना छुटि्टयों में घर सूना लगता है। इसलिए बच्चों के शौक-विचारों के बारे में जानें, उनमें नए विचार पैदा करें, उनकी जिज्ञासा बढ़ाने के लिए वह जो सवाल पूछें, उनके जवाब दें।'' 


शिक्षक ने बताए होमवर्क के मायने : स्वामीनारायण एच. विद्यालय के शिक्षक केतन व्यास ने बताया कि होमवर्क दिए जाने पर विद्यार्थी सिर्फ लिख कर लौटा देते हैं। इसलिए लिखने की जगह प्रैक्टिकल ज्ञान दिया जाए तो विद्यार्थियों को मजा आएगा। इसलिए हमने कोई होमवर्क नहीं दिया है। हमारी कोशिश है कि बच्चे छुटि्टयों में पौधे लगाएं, स्वच्छता, बिजली-पानी की बचत सीखें, परिवार का प्यार और बड़ों का आशीर्वाद पाएं।